Posts

Showing posts from March, 2023

पंचपुष्प प्रथम दिन कथा

Image
प्रथम दिन कथा आप यदि भगवान भोलेनाथ की सेवा कर रहे हैं या शिवलिंग पर बेलपत्र या कमल पुष्प चढ़ा रहे हैं तो उनका बखान क्या करें और यह भी कहा जाता है कि  तुलसी दल बेलपत्र गंगाजल और कमल पुष्प कभी बासी ही नहीं होता गंगाजल सालों साल रखने के बाद भी बासी नहीं होता कमलपुष्प 5 दिन तक रखे रहने पर भी बासी नहीं होता तुलसीदास और बेलपत्र को धो-धो कर बार-बार पढ़ा जा सकता है यह कभी बासी नहीं होती। यदि आप कितने सामर्थ्य नहीं है और आप भगवान भोलेनाथ का चढ़ा हुआ एक बेल पत्र धोकर पुणे उनको समर्पित कर देते हैं तो वह एक लाख बेल पत्रों के बराबर पुणे प्रदान करता है। इसी प्रकार जाप मंत्र गुरु मंत्र भजन कीर्तन आदि कभी बासी नहीं होता जब जब करना शुरू करें तभी बह ताजा हो जाता है। श्री पंच भूत कथा के अंतर्गत गुरु ज प्रदीप मिश्रा जी भगवान भोलेनाथ पर चढ़ने वाले पांच पुष्पों की कथा बताने जा रहे हैं। पुष्पा के बारे में बताते हुए प्रदीप मिश्रा इसे कहते हैं कि वायु पुराण के अंतर्गत ऐसा वर्णन मिलता है कि आपको पोस्ट के मालिक से पूछ कर ही वृक्षों और पौधों से तोड़ना चाहिए। शिवपुराण कहती है क यदि हमने यही पूछ तो बिना पूछे थोड़ा

पंचपुष्प शिव कथा दूसरा दिन

Image
एक बार ब्रह्मा जी ने देखा कि मैं कमल के पुष्प ऊपर बैठा हूं तो इस पुष्प का जन्म स्थान कहां है। तो उसकी डंडी पकड़कर नीचे आए तो उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु के नाभि कमल से पुष्प की उत्पत्ति हुई है। तब उन्हेंने विष्णु से कहा कि आप के नाभि कमल से मेरा जन्म हुआ है तो आपका जन्म किस से हुआ है आप के पिता कौन हैं। ।  तब भगवान विष्णु ने उत्तर दिया कि जिसने मुझे पानी की मैं एक बिन्दु रुप बुलबुले के रूप में दर्शन दिए वहीं मेरे पिता हैं उनका नाम शिव है। इस बिंदु को ज्योतिर्लिंग कहते हैं शिवलिंग कहते हैं। आप जो कह रहे हैं उस पर मैं कैसे विश्वास करूं यदि मुझे विश्वास ही दिखाना है तो मुझे अपने पिता के दर्शन कराइए मुझे अपने पिता के दर्शन करने हैं।  विष्णु वाले चलो मैं दर्शन करा देता हूं मेरा पिता सर्वस्व है वह कण-कण में विराजमान है चलो मैं आपको उनके दर्शन करा देता हूं यह कहकर भगवान विष्णु ने सागर में बुलबुला उत्पन्न करने के लिए एक पर्वत को उठाया और  उन्होंने सागर में एक पर्वत की सहायता से सागर मंथन किया तो वहां एक खंम्बरूप ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुआ जो ऊपर आकाश में और नीचे पाताल में जा रहा था। तब उस ज्यो