पंचपुष्प शिव कथा दूसरा दिन

एक बार ब्रह्मा जी ने देखा कि मैं कमल के पुष्प ऊपर बैठा हूं तो इस पुष्प का जन्म स्थान कहां है। तो उसकी डंडी पकड़कर नीचे आए तो उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु के नाभि कमल से पुष्प की उत्पत्ति हुई है। तब उन्हेंने विष्णु से कहा कि आप के नाभि कमल से मेरा जन्म हुआ है तो आपका जन्म किस से हुआ है आप के पिता कौन हैं। । 
तब भगवान विष्णु ने उत्तर दिया कि जिसने मुझे पानी की मैं एक बिन्दु रुप बुलबुले के रूप में दर्शन दिए वहीं मेरे पिता हैं उनका नाम शिव है। इस बिंदु को ज्योतिर्लिंग कहते हैं शिवलिंग कहते हैं।
आप जो कह रहे हैं उस पर मैं कैसे विश्वास करूं यदि मुझे विश्वास ही दिखाना है तो मुझे अपने पिता के दर्शन कराइए मुझे अपने पिता के दर्शन करने हैं। 
विष्णु वाले चलो मैं दर्शन करा देता हूं मेरा पिता सर्वस्व है वह कण-कण में विराजमान है चलो मैं आपको उनके दर्शन करा देता हूं यह कहकर भगवान विष्णु ने सागर में बुलबुला उत्पन्न करने के लिए एक पर्वत को उठाया और
 उन्होंने सागर में एक पर्वत की सहायता से सागर मंथन किया तो वहां एक खंम्बरूप ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुआ जो ऊपर आकाश में और नीचे पाताल में जा रहा था। तब उस ज्योतिर्लिंग से भविष्यवाणी हुई कि मैंने इस सागर में विष्णु को उत्पन्न किया उसकी नाभि से कमल उत्पन्न करके आपको उत्पन्न किया इस प्रकार मैं विष्णु का पिता और आपका पिता मह हूँ। लेकिन ब्रह्मा का के पांच मुख थे जिनमें से 5 ममू को
 मुख को विश्वास नहीं हुआ कि यह भविष्यवाणी सत्य है उन्होंने उस ज्योतिर्लिंग को नीचे से ऊपर तक देखा।
तो पाया की इसका  ना इस तो इसका सिर है और नहीं पर फिर यह कैसे हमें जन्म दे सकता है पहले इसके सिर और पैर का पता किया जाए तभी इस बात को सत्य माना जाए।

अब तुम यह बताओ कि तुम किसी खोजना चाहोगे पैरों को या मोकोको मुख को, तब  ब्रह्मा जी ने विष्णु से कहा कहा था के तुम ऊपर की तरफ जाओ और इनका मुंह देखो विष्णु जी ने मना किया है कि मैं ऐसा पाप नहीं कर सकता कि मैं अपने जन्म देने वाले हैं के मुख को देखने जा इतनी सामर्थ्य मुझ में नहीं है मैं तुम्हारी इच्छा पूर्ति की नहीं है अपने पिता के चरण देख कर उनका आशीर्वाद पाऊंगा । लेकिन जो वह आए तो उन्हें चरण नहीं मिले। 
तो वह वापस लौट आए और ब्रह्मा जी के लौटने का इंतजार करने लगे हैं। ब्रह्मा जी मुकुल की खोज में और ऊपर और ऊपर और ऊपर जाते गए लेकिन उन्हें भूख नहीं दिखाई दिया जमाने बुक नहीं दिखाई दिया तो वहां उन्हें एक गाय दिखाई दी
उन्होंने गाय से कहा तब ब्रह्माजी मुख ढूंढते रहे हैं परंतु मुख नहीं मिला तब ब्रह्मा जी को आया गाय दिखाई दी दोनों ने गाय को झूठ बोलने के लिए राजी कर लिया कि प्रत्येक घर से तुझे एक रोटी दिलवाऊंगा तु जिस घर जाएगी तुझे एक रोटी अवश्य मिलेगी। तुझे कोई दुत्कारेगा नहीं, एक वह, एक रोटी के लिए गौ माता ने झूठ बोल दिया। मात्र एक रोटी के लिए। 
तो गौ माता बोली मैं तो बोल दूंगी परंतु मेरी बात पर विश्वास कौन करेगा। तभी उनकी निगाह केतकी के फूल पर पड़क उन्होंने उसे तोड़ लिया और उससे बोले कि तुझे नीचे चल कर बोलना होगा कि मैंने सिर के दर्शन कर ली है। इस पर वह बोली बुला कि मुझे से क्या लाभ होगा तो ब्रह्मा जी ने कहा मैं तुझे सबसे खुशबूदार कुछ तो बना दूंगा हर तरफ सुगंध ही सुगंध पहला आएगा तेरी सौगंध कम नहीं होगी।
तो वह बोला ठीक है मैं बोल दूंगा ब्रह्मा जी ने कहा मैं तुम्हें सबसे खुशबूदार बना दूंगा

जब विष्णु जी से ब्रह्मा जी ने पूछा कि तुम्हें शिव के चरण मिले तो भगवान विष्णु ने मना कर दिया नहीं। तभी लिंग से भविष्य बनी हुई कि आज से तुम ने सब सबके सामने सत्यय बोल दिया इसलिए तुम्हारा नाम आज सत्यनारायण होगा।

ब्रह्मा जी से विष्णु ने पूछा तुम्हें सिर मिला तो ब्रह्मा जी ने कहा हां
तभी भविष्यवाणी हुई है कि ब्रह्मा जी झूठ बोल रहे हैं उन्हें सिर के दर्शन नहीं हुए हैं।

तो उन्होंने कहा कि तुम्हें विश्वास नहीं है तो इस गाय से पूछो मैं इसी साक्षी के लिए इसे लेकर आया हूं। 
तब भगवान विष्णु ने गाय से पूछा कि तुमने भगवान शंकर का सिर देखा तो उसने भी हां कह दिया इस प्रकार गाय ने एक रोटी के चक्कर में झूठ बोल दिया।
एक बार फिर आकाशवाणी हुई गाय झूठ बोल रही है तुम विश्वास नहीं है 
 तब शंकर जी ने प्रकट होकर कहा कि गौमाता तू जगत की माता होकर झूठ बोला है तेरा पूरा शरीर पूजा जाएगा लेकिन तूने मुखसे झूठ बोला है इसलिए, तेरा मुख नहीं पूजा जाएगा सब लोग सभी देवों की तीर्थ स्थलों की मंदिरों की परिक्रमा आगे से करेंग। पर गौ माता तूने अपने मुंह से झूठ बोला है इसलिए तेरी परिक्रमा मुख से नहीं बल्कि तेरी पूछ से शुरू होकर तेरी पूंछ पर ही समाप्त हो गई। 
संसार में किए जाने वाले सभी दान वस्त्र दान अन्न दान आगे से से करेंगे लेकिन गौमाता का दान अर्थात गोदान पीछे से तेरी पूछ पकड़ कर के किया जाएगा। इसलिए आज भी गौ माता का दांत अर्थात वरदान गाय की पूंछ पकड़कर किया जाता हैं। गौमाता को अपनी गलती का एहसास हो गया गौ माता ने भगवान शिव से क्षमा मांग ली और शिव ने क्षमा कर दिया। 

अब ब्रह्मा जी ने कहा की इस केतकी के फूल से पूछो, तब भगवान विष्णु ने केतकी से पूछा कि हे केतकी क्या ब्रह्मा जी ने भगवान शंकर का सिर देखा है तो केतकी ने खुशबूदार बनने के चक्कर में झूठ बोल दिया।
हां ब्रह्मा जी ने शंकर का सिर देखा है

तभी भगवान विष्णु को केतकी के झूठ बोलने पर गुस्सा आ गया और वह बोले तुमने सत्यनारायण और मेरे सामने झूठ बोला है इसलिए मैं तुझे श्राप देता हूं कि तू सारे देवों ऊपर चढ़ेगा लेकिन मेरे ऊपर कभी नहीं चढ़ेगा। यदि भूल से भी जो तुझे मेरे ऊपर चढ़ेएया तो उसे 1000 गौ हत्या के बराबर पाप लग जाएगा। पुणे झूठ बोला।

गुरु माता पिता शिक्षक संत सतगुरु साधु सन्यासी तपस्वी उपासक ऋषि मुनि आदि के मौका को नहीं देखा जाता इनके चरणों को देखा जाता है जिस किसी ने इनके चरणों को साथिया अर्थात पकड़ लिया समझो उसे भवसागर के पार होने  का मार्ग मिल गया। यह संत वचन है कि जो बड़ों की बात को मान लेता है वह सब बड़ा होने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती।
भगवान राम ने जो रावण को मारा तो मरने से पूर्व लक्ष्मण से कहा कि जाओ और उससे शिक्षा लेकर गया जब लक्ष्मण रावण के पास पहुंचे तो रावण ने मुंह फेर लिया लक्ष्मण वापस आए और बोले रावण का अहंकार अभी भी नहीं गया उसने मुझे देख कर मुंह फेर लिया तब भगवान बले अहंकार रावण में नहीं
 आपके अंदर आ गया है क्योंकि गुरु के सिर के पास खड़े होकर कभी ज्ञान नहीं लिया जा सकता ज्ञान तो उसके चरणों को पकड़ने के बाद ही प्राप्त होता है जाओ और उसके चरणों में खड़े होकर एक शिष्य की तरह ज्ञान प्राप्ति की याचना करो वह तो मैं ज्ञान अवश्य देंगे।
आजकल ऐसा देखा जाता है कि लोगों को घर के बड़े लोगों की बात बुरी लगती है जबकि पड़ोसी की बात बहुत अच्छी लगती है परंतु मेरा कहना है कि जिस दिन तुमने अपने बड़ों की बात माननी शुरू कर दी उस दिन तुम बड़े हो तो चले जाओगे तुम्हें कोई छोटा नहीं कर पाएगा।
एक बहुत बड़ी विडंबना है कि लोग वृद्ध आश्रम में जाते हैं उन्हें खाना खिलाते हैं उनकी सेवा करते हैं उनके हाथ पैर दबाते हैं उनके साथ खुशी के पल बिताते हैं और अपने घर के बड़ों की तरफ ध्यान ही नहीं देते बल्कि उन्हें दुत्कार देते हैं।
यह जरूरी नहीं किया प्रदर्शन में वृद्ध आश्रम में जाकर जाने से पहले कुछ देर अपने बुजुर्गों के साथ पिता बताओ। तो आपकी जिंदगी संवर जाएगी। जिस दिन प्रत्येक घर के लोगों ने अपने बुजुर्गों के साथ समय बिताना शुरू कर दिया और उनकी सेवा करनी शुरू कर दी तो वह दिन दूर नहीं जब भारत में वृद्ध आश्रम में ही नहीं रहेंगे घर ही सुख के धाम बन जाएंगे।।

दाग लगने
यदि किसी के व्यक्तित्व पर दाग लग जाए यह सफेद कपड़े पर दाग लग जाए तो उसके घर वालों को परिवार वालों को शर्मिंदा होना पड़ता है यह दीप संत के चोले पर दाग लग जाए तो पूरे देश को शर्मिंदा होना पड़ता है।

ढोंग की जिंदगी जीने से अच्छा है ढंग की जिंदगी जीना शुरु कर दो तुम्हें ढोंग की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

चार  चार घंटे बैठकर भगवान के भजन पूजन कर रहे हैं फिर भगवान में दर्शन नहीं दे रहे हैं ऐसा क्यों हैं
इस पर ध्यान देने वाली बात यह है कि आपने तन से तो भगवान का भजन पूजन किया याद किया लेकिन मन से नहीं किया जिनमें से उसके हो जाओगे उस दिन मैं आपकी दौड़ा चला आएगा।
मीरा ने मन से भगवान को बुलाया था नरसी मेहता ने मंच से भगवान को बुलाया था। जानते हो नरसी जी सांवरिया सेठ के भक्त थे उनके भाई भाभी ने उन्हें धक्का मार कर घर से बाहर निकाल दिया तो वह सांवरिया सेठ के मंदिर में जाने के लिए चले लेकिन वे एक शिव मंदिर में पहुंच गए और रो-रोकर भगवान के शिवलिंग को मिला रहे हैं।

वाणी के गांव का स्मरण रखें
भूमि की दरार वर्षा के पानी से कपड़ा सुई और धागे से शरीर पर लगी चोट मलमपट्टी से ठीक की जा सकती है भरी जा सकती है लेकिन वाणी से भरा बना घाव कभी नहीं भरता बड़ा विचित्र है। ऐसा प्रयास करें कि हमारी वाणी से किसी का मन ना दोगे किसी का चित्र परेशान ना हो।






सारे संसार में बोला झूठ चलेगा लेकिन भगवान के मंदिर दिल्ली या उनके आसपास एक झूठ आपको सढ़ा देगा यह ध्यान रखना। आपकी जिंदगी को नर्क बना देगा।

 डोंग चल अंधविश्वास चालाकी के चक्कर में नहीं पड़ना कि वह विश्वास करके भूले के चक्कर में पड़ना उन्हीं में अपना पुराना भरोसा जगाना।

केतकी तूने झूठ बोला शंकर के सामने बोला पहले अदालत या पंचायत नहीं होती थी वह भोले के सामने गंगा जली उठवा देते थे यदि शंकर के मंदिर में झूठ बोला गया तो जिंदगी नर्क से बदतर और बुढ़ापा 67 कर निकलता है साडे साडे कर निकलता है गीता आदेश 9:00 पर भी दम नहीं निकलता गाय दान से भी नहीं निकलते गंगाजल से भी नहीं निकलते सब से पूछा मुक्ति का साधन पूछा गीता सुना उसने हो सकता है भगवान भोलेनाथ के सामने झूठ बोल दिया यह उसी की सजा है।

केतकी सारे देवो पर चढ़ेगी पर शंकर पर नहीं केवड़ा बीसीजी पहले चढ़ात
 क्यों केवल एक कारण चंपा केवल भादो के महीने में चढ़ता है बाकी समय में भगवान भोलेनाथ पर नहीं चढ़ता है क्या कारण है केवल निंदा में व्यस्त व्यस्त रहते केवड
केवड़ा केवड़ा और चंपा दोनों केतकी की निंदा में लगे रहते थे तो शिवजी ने उन्हें शराब दे दिया केतकी को जो दोस्त है वही का वही दोस्त तुम दोनों को भी लगेगा क्योंकि तुम दोनों उसके पापों का गुणगान कर रहे हो इसलिए तुम्हें भी वही दोस्त लगेगा इसलिए ध्यान रखिए कि यदि किसी की निंदा करते हैं तो उसका बाप हमारे मस्तक पर लगता है। 

एक राजा को एक भयंकर रोग लग गया उसके शरीर गलगल कर गिरने लगा आखर में वह उसने सब से इलाज कराया अंत में वे गुरु के पास गया तब गुरु ने बताया तेरा भाई कहां है मर गया भाभी कहां है घर में जिस कक्ष में तेरी भाभी सोती है उसका एप्स के बाहर दरी बचाकर शुरू कर दे सोनम भाभी के दरवाजे के बाहर सुनना शुरू कर दे।
शंकर जी को जल चढ़ाने से धतूरा चढ़ाने से चावल का दाना चढ़ाने से बेल चढ़ाने से यह सफाई करने से ही रोशनी करने से सकता है क्या।
जब राजा निशाना शुरू किया तो राजा ने सोना शुरू किया तो दासिया ने एक के बाद एक राजा फैली और पूरे उसमें से राज्य में फैल गई लोग राजा की बुराई करने लगे।
तेरा बाप बहुत बढ़ गया था तेरी निंदा करवाने शुरू की जिससे तेरा बाप हुक्म हुआ तेरा रोग तेरी बीमारी समाप्त हो गई

घर की बहू का सिर दर्द होता है परंतु सास को कुछ नहीं होता बहू बीमार रहती है क्यों घर की क्योंकि घर की बुजुर्ग मै सुबह 4:00 बजे से घर के सभी काम में लग जाती है रात को सोते सोते भी वह काम करने के लिए तैयार रहती है कारण है कि घर की बहू मैके में जाकर सास की बहुत बुराई करते हैं और साथ जोरदार होती चली जाती है और बहुत बीमार होते चले जाते हैं इसीलिए सास ओल्ड इस गोल्ड रहते हैं। सास को जल्दी नहीं उठाना है तो उसकी बुराई मत करो जितनी बुराई करोगे उतनी ही स्वस्थ होती चली जाएगी। यह आजमा कर देख लेना यदि सास को जल्दी नहीं उठाना है तो उसकी बुराई मत करो।

मेरा भाई को लोगों ने थाने पर ताने दिए गाली पर गाली दी और आप सोच पर अपशब्द गए परंतु वह नहीं बोली मेरा भगवान की अविरल भक्ति में लगी रे।
भगवान पर भरोसा करोगे तो परोस आओगे तो तरस जाओगे यदि इंसान पर भरोसा किया तो कहीं ना कहीं मर जाओगे

क्यों केवल एक कारण चंपा केवल भादो के महीने में चढ़ता है बाकी समय में भगवान भोलेनाथ पर नहीं चढ़ता है क्या कारण है केवल निंदा में व्यस्त व्यस्त रहते केवड
केवड़ा केवड़ा और चंपा दोनों केतकी की निंदा में लगे रहते थे तो शिवजी ने उन्हें शराब दे दिया केतकी को जो दोस्त है वही का वही दोस्त तुम दोनों को भी लगेगा क्योंकि तुम दोनों उसके पापों का गुणगान कर रहे हो इसलिए तुम्हें भी वही दोस्त लगेगा इसलिए ध्यान रखिए कि यदि किसी की निंदा करते हैं तो उसका बाप हमारे मस्तक पर लगता है। 

पीला कनेर
पीला कनेर पंचपुष्प कथा में आने वाला दूसरा मुख्य पुष्प है।
एक बार केतकी, केवड़ा और चंपा तीनों देवों की एक सभा में बैठे हुए थे‌। तो उस सभा में आए गांधहीन, सुगंध रहित, जहर से भरे हुए पीली कनेर के पुष्प को सभा बीच देख कर केतकी, केवड़ा और चंपा तीनों हंस पड़े। 
उसी सभा में नारद जी भी बैठे हुए थे उन्होंने जब तीनों को हंसते हुए देखा तो वे सभा से उठे। उन्होंने कनेर के फूल को तोड़ लिया और आकाश मार्ग से जाते हुए भोलेनाथ के निवास स्थल कैलाश की एक शिला पर उस पुष्प को रख दिया। वहां से भगवान भोलेनाथ की गण भृंगी गुजर रहे थे। उन्होंने उस पुष्प को उठा लिया तो श्रृंगी ने देखा और भृंगी से बोले, भृंगी तुम इस गांधहीन और जहरीले पुष्प के साथ क्या कर रहे हो।
भृंगी ने कहा कि जब मैं भगवान के पास से आया तो मुझे भगवान के चरणों में एक भी पुष्प नहीं दिखाई दिया। आज मैं यह पुष्प उनके चरणों में समर्पित कर दूंगा। श्रृंगी भी पुष्प ढूंढ रहे थे परंतु उन्हें भी पुष्प नहीं मिला। भृंगी 
 के हाथ में पुष्प देख कर वह बहुत खुश हुए और दुमदुभी बजाने लगे।

देवी भागवत और कूर्म पुराण का 24 वां अध्याय कह रहा है। भृंगी ने पुष्प उठाया और श्रंगी दुमदुभी बजा रहा है, पूरे कैलाश में दुमदुभी बजाने की चर्चा होने लगी। माता पार्वती ने गणेश जी और कार्तिकेय जी को दुमदुभी बजने के कारण का पता लगाने के लिए भेजा।  तो देवताओं को लगा कि कैलाश पर कुछ अनोखा हुआ है। यह सब देखने के लिए सभी देव कैलाश पर एकत्रित हो गए। भृंगी ने उस एकमात्र कनेर के पुष्प को देवाधिदेव महादेव के चरणों में अर्पित कर दिया। श्यामल चरणों में रखें पुष्प की आभा को देखा तो गणेश जी महाराज ने अपने सूंड़ में जल भरकर ऊपर की ओर उछाला। जब पार्वती जी ने उस पुष्प को देखा तो पार्वती जी ने उसे उठाकर भगवान भोलेनाथ के कान में लगा दिया। इस प्रकार भगवान भोलेनाथ की कृपा के कारण ही कनेर को उन कर्णफूल होने का इसमें का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 
प्राचीन चित्रों में आप इस पुष्प को भगवान भोलेनाथ के कान में लगा हुआ देख सकते हैं । 

यह देख कर देवताओं के मन में भी इच्छा उत्पन्न हुई की है पुष्प हमारे ऊपर भी चढ़ना चाहिए। तो भगवान भोलेनाथ ने आंखें खोल कर सब को आशीर्वाद दिया कि आप सब को भी यह फूल चढ़ेगा और जो भी इस पुष्प को मुझ पर या आप पर चढाएगा, तो यह फूल उन सब का कल्याण करेगा।

पीली कनेर का उपाय
यदि पति-पत्नी में झगड़ा हो बात अदालत तक चली गई हो तो पीले कनेर के पुष्प की माला शिवलिंग के कलश (इस कलश के अंदर जया, विषहरा, शामलीबारी, दोतली और दिव्य, शंकर भगवान की पांच बेटियों के स्थान से) जलाधारी तक शिवरात्रि के दिन प्रदोष काल के समय पर कनेर की माला बनाकर स्पर्श करके लगा देता है तो पति-पत्नी का बेर मिटकर प्रेम में बदल जाता है। अदालत को केस भी समाप्त हो जाता है। 

यदि भाई भाई विवाद, जमीन या किसी अन्य विवाद मैं हो तो कनेर का पुष्प भी शिव को समर्पित किया जाता है तो यह सुख प्रदान करता है।

प्रश्न भगवान शिव शंकर के शिवलिंग के आसपास गणेश जी कार्तिकेय जी और पार्वती जी भी विराजमान होते हैं क्या ऑनलाइन का भी पंचामृत किया जलाभिषेक किया जा सकता है ?
उत्तर यदि इनका श्रृगार किया जा चुका है
 तो इन पर पंचामृत आज से का अभिषेक नहीं किया जाता यदि हम भगवान शंकर के शिवलिंग पर सही तरीके से जल चढ़ाते हैं तो हम जानते हैं कि उसमें सभी उपस्थित होते हैं इसलिए भगवान भोलेनाथ के साथ सभी का जलाभिषेक हो जाता है अलग से इनकी जिला बेसिक करने की आवश्यकता नहीं है। के


 तो हम आपको बता दें गुरु जी ने बताया कि यह टीवी के लिए दूसरा पंच कुछ तो मैं दूसरा पुष्प है ।

किसी भी पेपर यदि पोस्ट उल्टा चढ़ा दिया जाए तो उसके घर में सभी कार्य भी उल्टी होने लगते हैं।

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