मार्कंडेय पुराण के रचीयता मार्कंडेय ऋषि की संक्षिप्त कथा
मार्कंडेय पुराण के रचीयता मार्कंडेय ऋषि की संक्षिप्त कथा यहां स्नान नहीं किया तो अधूरी रहती है चार धाम यात्रा महर्षि मार्कंडेय की तपोस्थली हिमाचल के बिलासपुर जिले में महर्षि मार्कंडेय की तपोस्थली मार्कंड में स्नान किए बिना चार धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है। मान्यता के अनुसार चार धाम पर जाने वाले लोग यहां पर स्नान करने के बाद ही अपनी यात्रा पूरी मानते हैं। बैसाखी पर्व पर पवित्र स्नान के लिए हजारों की भीड़ यहां उमड़ी। ब्रह्म मुहूर्त में शुरू हुआ स्नान का सिलसिला दिनभर चलता रहा। भगवान शिव व मार्कंडेय से जुड़े होने के कारण यह स्थान लोगों की आस्था का केंद्र बना है। यह है पौराणिक कथा पौराणिक गाथा के अनुसार मृकंडु ऋषि की घोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने पुत्र रतन का वरदान दिया। लेकिन, वरदान के साथ उन्होंने पुत्र के अल्पायु होने का भी जिक्र कर दिया। ज्यों-ज्यों पुत्र की आयु बढ़ती गई, पिता चिंताग्रस्त रहने लगे। बालक मार्कंडेय कुशाग्र बुद्धि होने के साथ पितृभक्त भी थे। उन्होंने अपने पिता के मन को कुरेद कर चिंता का कारण जान लिया तथा इस चिंता से मुक्ति के लिए भगवान शिव की तपस्या आरंभ की। जब उनकी