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Showing posts from June, 2023

मार्कंडेय पुराण के रचीयता मार्कंडेय ऋषि की संक्षिप्त कथा

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मार्कंडेय पुराण के रचीयता मार्कंडेय ऋषि की संक्षिप्त कथा यहां स्नान नहीं किया तो अधूरी रहती है चार धाम यात्रा महर्षि मार्कंडेय की तपोस्थली  हिमाचल के बिलासपुर जिले में महर्षि मार्कंडेय की तपोस्थली मार्कंड में स्नान किए बिना चार धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है। मान्यता के अनुसार चार धाम पर जाने वाले लोग यहां पर स्नान करने के बाद ही अपनी यात्रा पूरी मानते हैं। बैसाखी पर्व पर पवित्र स्नान के लिए हजारों की भीड़ यहां उमड़ी। ब्रह्म मुहूर्त में शुरू हुआ स्नान का सिलसिला दिनभर चलता रहा। भगवान शिव व मार्कंडेय से जुड़े होने के कारण यह स्थान लोगों की आस्था का केंद्र बना है। यह है पौराणिक कथा पौराणिक गाथा के अनुसार मृकंडु ऋषि की घोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने पुत्र रतन का वरदान दिया। लेकिन, वरदान के साथ उन्होंने पुत्र के अल्पायु होने का भी जिक्र कर दिया। ज्यों-ज्यों पुत्र की आयु बढ़ती गई, पिता चिंताग्रस्त रहने लगे। बालक मार्कंडेय कुशाग्र बुद्धि होने के साथ पितृभक्त भी थे। उन्होंने अपने पिता के मन को कुरेद कर चिंता का कारण जान लिया तथा इस चिंता से मुक्ति के लिए भगवान शिव की तपस्या आरंभ की। जब उनकी

अक्षय पात्र और दासीमैया की कथा

आप कोई भी भोज आयोजित कर रहे हैं। अक्षय पात्र और दासीमैया की कथा आज छत्रपति संभाजी नगर महाराष्ट्र के दूसरे दिन की कथा में गुरु जी पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने सुनाई दासी मैया की कथा। कर्नाटक में दासी मैया नाम के भगवान भोलेनाथ के एक परम भक्त हुए हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो ये भगवान भोलेनाथ के परम उपासक हुए हैं। वे बचपन से ही किसी वृक्ष के नीचे बैठ जाते और वहां मिट्टी से शिवलिंग बना लेते और उसकी मन लगाकर पूजा उपासना करते हैं।  दासी मैया के पिता एक जुलाहा थे, जो कपड़े बुनने का काम किया करते थे। इसलिए दासी मैया का काम भी कपड़े बुनना ही हुआ। वे अपने इस पैत्रिक काम को मन लगाकर किया करते थे। उनकी कमाई इतनी नहीं थी कि वे अच्छे से भोजन कर सके । वे एक छोटे से झोपड़े में निवास करते थे। दासी मैया जब 8 वर्ष के थे तभी भी मिट्टी एकत्रित करते, उसे गीला करते और उससे शिवलिंग का निर्माण करके उसकी पूजा किया करते। यही उनकी दैनिक प्रक्रिया थी। एक बार को खाना भूल जाए, पीना भूल जाए लेकिन शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करना कभी नहीं भूलते।  शायद वह पूजा करते हुए गाते और गुनगुनाते हों  मेरे नाथ दया करना तेरे भरोसे मेरे