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02. विद्येश्वरसंहिता || 13. सदाचार, शौचाचार, स्नान, भस्मधारण, संध्यावन्दन, प्रणव जप, गायत्री जप, दान, न्यायतः धनोपार्जन तथा अग्निहोत्र आदिकी विधि एवं महिमाका वर्णन

विद्येश्वरसंहिता (अध्याय १३) सदाचार, शौचाचार, स्नान, भस्मधारण, संध्यावन्दन, प्रणव जप, गायत्री जप, दान, न्यायतः धनोपार्जन तथा अग्निहोत्र आदिकी विधि एवं महिमाका वर्णन ऋषियोंने कहा— सूतजी ! अब आप शीघ्र ही हमें वह सदाचार सुनाइये, जिससे विद्वान् पुरुष पुण्यलोकोंपर विजय पाता है। स्वर्ग प्रदान करनेवाले धर्ममय आचार तथा नरकका कष्ट देनेवाले अधर्ममय आचारोंका भी वर्णन कीजिये । सूतजी बोले- -सदाचारका पालन करनेवाला विद्वान् ब्राह्मण ही वास्तवमें 'ब्राह्मण' नाम धारण करनेका अधिकारी है। जो केवल वेदोक्त आचारका पालन करनेवाला एवं वेदका अभ्यासी है, उस ब्राह्मणकी 'विप्र' संज्ञा होती है। सदाचार, वेदाचार तथा विद्या- इनमेंसे एक-एक गुणसे ही युक्त होनेपर उसे 'द्विज' कहते हैं। जिसमें स्वल्पमात्रामें ही आचारका पालन देखा जाता है, जिसने वेदाध्ययन भी बहुत कम किया है तथा जो राजाका सेवक (पुरोहित, मन्त्री आदि) है, उसे 'क्षत्रिय- ब्राह्मण' कहते हैं। जो ब्राह्मण कृषि तथा वाणिज्य कर्म करनेवाला है और कुछ-कुछ ब्राह्मणोचित आचारका भी पालन करता है, वह 'वैश्य -ब्राह्मण' है तथा जो स्वयं ही ख

भजन –> परबत के नीचे बरसाना गाँव

परबत के नीचे बरसाना गाँव परबत के नीचे बरसाना गाँव गाँव में राधा रानी रहती हैं परबत के पीछे चम्बेला गाँव गाँव में राधा रानी रहती हैं हो ओ ओ ओ राधा रानी रहती हैं राधा रानी रहती हैं जिनको बरसाने के लोग श्री जी कहते हैं  हो ओ ओ ओ गाँव में राधा रानी रहती हैं उनकी बातें सुनते है क्यूँ छुपकर सब जाने उनकी बातें सुनते है क्यूँ छुपकर सब जाने क्या क्या बातें करते रहते है अब्ब वह जाने उन् दोनों को नींद नहीं आती क्यों रब जाने तारों के साथ वह जगते है रात को झरनों के साथ बहते हैं परबत के पीछे चम्बेला गाँव गाँव में दो प्रेमी रहते हैं... Full lyrics at Bharatlyrics.com: Parbat Ke Peechhe Lyrics - Kishore Kumar, Lata Mangeshkar  https://bharatlyrics.com/parbat-ke-peechhe-lyrics/
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।  उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम्॥1॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये॥3॥ एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥ ओंकारेश्वर महाकालेश्वर केदारनाथ रामेश्वरम मल्लिकार्जुन सोमनाथ विश्वनाथ भीमाशंकर त्र्यम्बकेश्वर वैद्यनाथ नागेश्वर  घृष्णेश्वर  हे नाथों के नाथ  हे विश्वनाथ, केदारनाथ, वैद्यनाथ और सोमनाथ हे समों में शं  हे ओंकारं, महाकालं, रामेशं और नागेशं हे ईश्वर के ईश्वर  हे त्र्यम्बकेश्वर, भीमेश्वर, घृष्णेश्वर और मल्लिकेश्वर      त्र ओं म कै रा म –  सो भी वै ना घृ त्र  सोमनाथ यह गुजरात के प्रभास क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर को पिछले एक हजार वर्षों में लगभग छह बार ध्वस्त एवं पुनर्निमित किया गया है। इस पर पहला हमला 1022 ईस्वी में मुस्लिम आक्रांता महमूद गजनवी ने किया था। मल्लिकार्जुन यह आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित श्रीशैल पर्वत पर स्थापित है। इस

शिवलिंग

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महाशिवरात्रि अभिषेक ये समस्त जगत लिंगमय है,सब कुछ लिंग में प्रतिष्ठित है,अतः जो आत्मसिद्धि चाहता है उसे शिवलिंग की विधिवत पूजा करनी चाहिए। सभी देवता,दैत्य, सिद्धगण,पितर,मुनि,किन्नर आदि लिंगमूर्ति का अर्चन करके सिद्धि को प्राप्त हुए हैं। शिव महापुराण में दिए गए श्लोक  "अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम।  सध:कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:।"  के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तत्क्षण (तुरंत ही) जो कलत्र पुत्रादि यानी कि घर की पुत्रवधु होती है वो शिवशंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है। इनकी पूजा इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है। जो दम्पति संतान प्राप्ति के लिए कई वर्षों से तड़प रहे हैं,उन्हें पार्थिव लिंग का पूजन अवश्य करना चाहिए। भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा साकार और निराकार दोनों रूप में होती है।  साकार रूप में भगवान शिव मानव रूप में हांथ में त्रिशूल और डमरू लिए, बाघ की छाल पहनें, नंदी की सवारी करते हुए नजर आते हैं। जितनी भी मूर्तियां और तस्वीरें हैं यह सभी सरकारों को दर्शाती है। जबकि ऐसा रुप में भगवान भोलेनाथ शिव लिंग की पूजा की जाती