कर्मफल सभी को भुगतना पड़ता है, इंसान क्या और भगवान क्या? चाहे वह आपके कारण से जना है या किसी के श्राप से।

कर्मफल सभी को भुगतना पड़ता है, इंसान क्या और भगवान क्या? चाहे वह आपके कारण से जना है या किसी के श्राप से।
1. गांधारी पूर्व जन्म में राजकुमारी थी उसने अपना सुंदरता को बरकरार रखने के लिए वैध को बुलाया वह दिन शौक है चूहा मांगे और उनका फेस पैक बना कर दिया जिसका फल उसने अपने सौ पुत्रों को अपने पैरों के नीचे रखकर एक बेर तोड़ने में प्राप्त किया।

2. पूर्व जन्म में धृतराष्ट्र अंधे थे लेकिन उन्होंने अपने एक नागरिक के हंस के 100 बच्चों को सुरक्षित रखने का वचन दिया लेकिन स्वाद में सभी को खा गए। इसी कारण इस के सौ पुत्रों का कारण बने।

3. सीता ने एक चिड़िया को बंदी बनाकर रखा जिसके कारण उसे बंदी होना पड़ा।

4. भगवान राम को भुगतना पड़ा था नारद द्वारा दिया गया श्राप जिसके कारण उन्हें वनवास व स्त्री वियोग भी भुगतना पड़ा।

5. भगवान राम ने बाली को छिप कर मारा तो अगले जन्म में बाली ने छिपकर कृष्ण को मारा।

5. संपूर्ण महाभारत युद्ध बीत गया भीष्म पितामह पीरों की शैया पर पड़े रहे शाम को वासुदेव कृष्ण से मिलने आते वहकहते हैं कि आज मुझे पहले दिन हो गया आज दूसरा दिन इस तरीके से वह उन्हें गिनते रहे इसी प्रकार 55 दिन बीत गए और कृष्ण जी हर बार हंसते और उनकी बात टाल देते इस बार उन्होंने बताया कि जब तक आपके कर्मों का फल पूरा नहीं हो जाते तब तक आप की मृत्यु नहीं होगी। साथ ही आपने दुर्योधन का जो अन्य खाया है उसके अन्य से रक्त की बूंदे उनके शरीर में रहेंगे तब तक मृत्यु नहीं आएगी। 56 वे दिन उन्होंने अपने शरीर को त्याग दिया।



कौन, कब याद आता है ?

बत्तीसी खाने के समय और चश्मा पढ़ने के समय याद आता है? मरते समय शंकर याद आता है । जिंदगी निकल गई भजन क्यों नहीं करा।

मेरे जन्म से नौ महीने पहले ही सूचना दे दी थी कि मैं आने वाला हूं बस एक कृपा और कर दीजिए कि कुछ दिन पहले मुझे सूचना दे दीजिए कि मैं मरने वाला हूं।

मैं आपकी फोटो खींची और उसमें आपने दिखाई दिया तो आपको गुस्सा आता है इसी प्रकार भगवान के मंदिर में यदि आप भगवान को नहीं दिखाई दिए पहचाने गुस्सा नहीं आएगा।

मेरा भगवान से बहुत अधिक पूजा करने से काम नहीं बनता शायद उसने मेरी कोई अच्छा काम सूत्र का

नर कपड़न से डरत है नर्क पढ़न से नाय।
एक भोला कैलाश में तो दूजा बसे विश्वास में।

दक्ष प्रजापति की पुत्री तथा पितरों की पत्नी स्वधा है। पेत्र लोग से आर्यमन मंदिर यहां विराजते हैं कुए पर विराजमान होकर।

एक चावल का दाना लेकर रसोई में जहां पानी रखते हैं वहां जहां पांच बार सुधा नाम का स्मरण करें और घर के अथवा मंदिर के शिवलिंग पर से चला दे।

श्रद्धा श्वेत वस्त्र धारण करते हैं 1 दिन माता सरस्वती दे माता सुधा को कहा आप इधर आओ श्रद्धा बोली हां बेटी जब घर में इतने आभूषण है तो उन्हें धारण क्यों नहीं करती इतनी मस्त रहें उन्हें धारण क्यों नहीं करती श्रद्धा बोली वह संसार सागर भाई जब किसी के प्राण छूट जाते हैं और प्राण छोड़ने के बाद वह जीवात्मा अगर अच्छ जीवात्मा है तो
 देव लोग चली जाती है जो बुरी निवारक जाती है भक्ति रहती है।

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