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Showing posts from May, 2023

राजा सत्यव्रत की कथा भाग 1

राजा सत्यव्रत की कथा भाग 1 महाराज मेरी भोलेनाथ की कथा ऐसी ही नहीं वे अपने भक्तों के लिए नंगे पैर दौड़े चले आते हैं ऐसे कथा सत्य भगवान सत्य व्रत की कथा जिसमें भगवान उसके बच्चे की रक्षा की अपने 19 अवतारों में शोध में अवतार भिक्षुवर्य अवतार चलो जानते हैं और सुनते हैं यह कहानी  राजा सत्यव्रत की कथा भाग्य 1 शिव पुराण में भगवान शिव के अनन्य भक्त राजा सत्यव्रत का वर्णन मिलता है। सत्यव्रत विदर्भ नरेश सत्यव्रत आठों पहर भगवान भोलेनाथ की आराधना में लगा रहता था। आराधना में दिन और रात उसके लिए समान थे। ऐसा कोई पल ऐसी कोई घड़ी या ऐसा कोई दिन नहीं होता था जिसमें सत्यव्रत भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन न रहें हो। भगवान भोलेनाथ में अगाध भक्ति प्रेम के उपरांत भी वह अपने राज्य की जनता को हमेशा खुश रखने का प्रयास करते। उनके राज्य में जनता बहुत सुखी और प्रसन्न थी। प्रजा को जब भी कोई परेशानी होती तो राजा उसे तुरंत दूर करते और राज्य के कल्याण में अपनी धन-संपदा का उपयोग करते। राजा सत्यव्रत के कार में धन केवल दो ही कल्याण कार्य में लगता या तो धर्म कल्याण में या फिर जन कल्याण में तीसरी जगह धन के लगने का कोई स्

क्या है एक लोटा जल का महत्व ? राजा सत्यव्रत की संपूर्ण कथा

राजा सत्यव्रत की कथा भाग 1 महाराज मेरी भोलेनाथ की कथा ऐसी ही नहीं वे अपने भक्तों के लिए नंगे पैर दौड़े चले आते हैं ऐसे कथा सत्य भगवान सत्य व्रत की कथा जिसमें भगवान उसके बच्चे की रक्षा की अपने 19 अवतारों में शोध में अवतार भिक्षुवर्य अवतार चलो जानते हैं और सुनते हैं यह कहानी  राजा सत्यव्रत की कथा भाग्य 1 शिव पुराण में भगवान शिव के अनन्य भक्त राजा सत्यव्रत का वर्णन मिलता है। सत्यव्रत विदर्भ नरेश सत्यव्रत आठों पहर भगवान भोलेनाथ की आराधना में लगा रहता था। आराधना में दिन और रात उसके लिए समान थे। ऐसा कोई पल ऐसी कोई घड़ी या ऐसा कोई दिन नहीं होता था जिसमें सत्यव्रत भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन न रहें हो। भगवान भोलेनाथ में अगाध भक्ति प्रेम के उपरांत भी वह अपने राज्य की जनता को हमेशा खुश रखने का प्रयास करते। उनके राज्य में जनता बहुत सुखी और प्रसन्न थी। प्रजा को जब भी कोई परेशानी होती तो राजा उसे तुरंत दूर करते और राज्य के कल्याण में अपनी धन-संपदा का उपयोग करते। राजा सत्यव्रत के कार में धन केवल दो ही कल्याण कार्य में लगता या तो धर्म कल्याण में या फिर जन कल्याण में तीसरी जगह धन के लगने का कोई स्

पशुपति व्रत संपूर्ण जानकारी

पशुपति व्रत कब करें यदि कोई बहुत बड़ी समस्या गई हो जिसे आप किसी को नहीं बता सकते हैं यदि बहुत देख समस्या है, तकलीफ है, दुख है, कष्ट है, बीमारी है, कर्जा बढ़ गया है, लेन देन रह गया है या कोई परेशान कर रहा है तो केवल 5 सोमवार पशुपति वृत करें। आपके पांच पशुपति व्रत करने से उपरोक्त सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी।  पशुपति व्रत करने के नियम पशुपति व्रत में केवल 5 व्रत करने का विधान है छठी व्रत का नहीं है आप किसी भी सोमवार से इस व्रत की शुरुआत कर सकते हैं।  कैसे करना है सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा की थाली लगाएं। चंदन अभीर गुलाल हल्दी आदि जो भी आप पूजा सामग्री ले जाते हैं। अभिषेक के लिए जल का पात्र और पंचामृत सामग्री ले लें। पूजन की थाली में सामान उतना ही रखें कि जो शाम को भी पूजा के काम आ जाए शाम को अलग से न रखना पड़े अर्थात अलग से ना रखें। शिव मंदिर में जाकर पूजन अभिषेक अधिकारी जैसा आप करते हैं। सुबह बाबा का पूजन करें अभिषेक करें घर आ जाए और थाली को ढक कर रख दें। शाम के समय यही थाली लेकर वापस मंदिर जाना है। शाम को अलग से है दीपक बनाया गया मिष्ठान थोड़ा जल श

भगवान शिव के 108 नाम

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भगवान भोलेनाथ की कृपा के लिए उनके नामों का जब बहुत ही फलदाई होता है इसीलिए हमने भगवान शिव के 108 नाम इस वीडियो में दिए हैं जिनके पढ़ने या सुनने मात्र से शिव कृपा प्राप्त  होती है। 🌺🌺🌺🌹🌹🪷ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 🪷🌹🌹🌺🌺🌺 १• शिव ॐ शिवाय नमः । Om Shivaya Namah 🌺🌺🌺🌹🌹🪷ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 🪷🌹🌹🌺🌺🌺 २. महेश्वर ॐ महेश्वराय नमः  । Om Maheshwaraya Namah 🌺🌺🌺🌹🌹🪷ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 🪷🌹🌹🌺🌺🌺 ३ • शंभवे  ॐ शंभवे नमः । Om Shambhave Namah 🌺🌺🌺🌹🌹🪷ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 🪷🌹🌹🌺🌺🌺 ४.पिनाकिने  ॐ पिनाकिने नमः । Om Pinakine Namahi 🌺🌺🌺🌹🌹🪷ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 🪷🌹🌹🌺🌺🌺 ५• शशिशेखर  ॐ शशिशेखराय नमः । Om Shashishekharaya Namah.  🌺🌺🌺🌹🌹🪷ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 🪷🌹🌹🌺🌺🌺 ६. वामदेवाय ॐ वामदेवाय नमः । Om Vamadevaya Namah  🌺🌺🌺🌹🌹🪷ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 🪷🌹🌹🌺🌺🌺 ७ • विरूपाक्ष ॐ विरूपाक्षाय नमः  । Om Virupakshaya Namah 🌺🌺🌺🌹🌹🪷ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 🪷🌹🌹🌺🌺🌺 ८. कपर्दी  ॐ कपर्दिने नमः । Om Kapardine Namah  🌺🌺🌺🌹🌹🪷ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 🪷🌹🌹🌺🌺🌺 ९. नीललोहित ॐ नीललोहिताय नमः  । Om Nilalohitaya Namah 🌺🌺🌺🌹🌹🪷ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 🪷🌹🌹🌺🌺🌺 १० • शंकर

पशुपति अस्त्र

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पशुपति अस्त्र पशुपति शब्द का अर्थ होता है शिव अर्थात वह जो सभी जीवों (जीवितो) का भगवान हैं। पशुपतास्र के सामने कोई भी जीवित या मृत वस्तु नहीं टिक सकती यहा तक कि यह भगवन ब्रम्हा के बनाये ब्रह्मास्त्र और ब्रम्हाशिर अस्त्र को भी निगल सकता है। पशुपति व्रत का नाम आते ही दिमाग में पशुपति अस्त्र का नाम घूमने लगता है। जो महान भयानक एवं अत्यन्त विध्वंसक है। पशुपातास्त्र सम्पूर्ण सृष्टि का विनाश कर सकता है।  इसका प्रहार अचूक होने के कारण इसके प्रहार से बचना अत्यन्त कठिन। इसके लिए एक सार्वभौमिक नियम बनाया गया है कि इस अस्त्र से किया गया विनाश दोबारा ठीक नही किया जा सकता है। इस अस्त्र को अपने से कम बली या कम योद्धा पर नहीं चलाया जाता चाहिये।  यह भगवान पशुपतिनाथ का अस्त्र है, कहा जाता है कि उन्होने इस अस्त्र को ब्रह्माण्ड की सृष्टि से पहले ही आदि परा शक्ति का घोर तप करके उनसे प्राप्त किया था। यह भगवान शिव, माता काली और आदि परा शक्ति का अस्त्र है। यह एक ऐसा अस्त्र है जिसे मन, आँख, शब्द और धनुष से नियंत्रित किया जा सकता है। पुराग्रंथों में आवाहनित अर्थात प्रयोग किये गये पशुपतास्र का वर्णन इस प्रकार म

अर्जुन को हराने का सामर्थ्य किसके पास था?

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अर्जुन ने जयद्रथ के वध हेतु कौन से अस्त्र का प्रयोग किया था? अर्जुन ने जयद्रथ वध के लिए कोई विशेष तीर का प्रयोग नहीं किया । अर्जुन द्वापर युग में सबसे तेजी से तीर चलाने में सर्वश्रेष्ठ थे । अर्जुन ने इतनी स्फूर्ति से तीर चलाया की बाकी सबको हवा भी नही लगी । लगातार तीर चलाकर अर्जुन ने उसके सिर को सप्तपंचक में ध्यान में लीन उसके पिता की गोद में डाल दिया जिन्होंने पुत्रमोह में आकर धर्म विरुद्ध वरदान दिया था इंद्र और अन्य देवताओं से युद्ध करने के लिए अर्जुन ने अग्नि से दिव्य धनुष, दिव्य रथ अथवा अक्षय तरकश की याचना की। उनकी इस याचना को स्वीकार करते हुए अग्निदेव ने उन्हें ये सारी चीज़ें प्रदान की थी। इन सारे आयुधों से लैस होकर श्री कृष्ण और अर्जुन ने इंद्र और उनकी देवसेना को पराजित किया और समस्त खाण्डव वन और उसमें रहने वाले प्राणियों को जला कर ख़ाक कर डाला था। Prabhas Chandra अवकाश प्राप्त प्रोफेसर (1964–मौजूदा) 3वर्ष संबंधित अर्जुन का वध किसने किया था? अर्जुन का बबरुवहन द्वारा बन्दी बनाये जाने की बात सर्वविदितहै पर हत्या बात शायद यक्ष द्वारा पूछे गये सवाल का उत्तर न दे सकने के कारण हुई थी। अ