पशुपति व्रत संपूर्ण जानकारी

पशुपति व्रत कब करें
यदि कोई बहुत बड़ी समस्या गई हो जिसे आप किसी को नहीं बता सकते हैं यदि बहुत देख समस्या है, तकलीफ है, दुख है, कष्ट है, बीमारी है, कर्जा बढ़ गया है, लेन देन रह गया है या कोई परेशान कर रहा है तो केवल 5 सोमवार पशुपति वृत करें। आपके पांच पशुपति व्रत करने से उपरोक्त सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी। 

पशुपति व्रत करने के नियम
पशुपति व्रत में केवल 5 व्रत करने का विधान है छठी व्रत का नहीं है आप किसी भी सोमवार से इस व्रत की शुरुआत कर सकते हैं। 

कैसे करना है
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा की थाली लगाएं। चंदन अभीर गुलाल हल्दी आदि जो भी आप पूजा सामग्री ले जाते हैं। अभिषेक के लिए जल का पात्र और पंचामृत सामग्री ले लें। पूजन की थाली में सामान उतना ही रखें कि जो शाम को भी पूजा के काम आ जाए शाम को अलग से न रखना पड़े अर्थात अलग से ना रखें।
शिव मंदिर में जाकर पूजन अभिषेक अधिकारी जैसा आप करते हैं। सुबह बाबा का पूजन करें अभिषेक करें घर आ जाए और थाली को ढक कर रख दें। शाम के समय यही थाली लेकर वापस मंदिर जाना है।

शाम को अलग से है दीपक बनाया गया मिष्ठान थोड़ा जल

शाम को अलग से केवल छह दीपक रखने हैं जिनमें खड़ी बत्ती लगेगी और सभी देसी घी के होंगे। पूजा के वक्त इनमें से पांच दीपक प्रज्वलित करने हैं छठा नहीं प्रज्वलित करना पूजा के उपरांत इस छठे दीपक को थाली में रखकर वापस मिलन आना है जिसे घर के द्वार पर अपने सीधे हाथ पर प्रज्वलित करना है।

और शाम को अलग से मिष्ठान जैसे खीर शिवाय मालपुए या कुछ और मीठा बना रहे हैं तो उतना ही बनाए जो भोग के लिए ही पर्याप्त हो कढ़ाई में या बर्तन में जरा भी नहीं बचे। मिष्ठान भोग उतना ही बनाना है जितना मंदिर में ले जाएं उसे पूरा का पूरा मंदिर ले जाना है। जो आपने भोग के लिए बनाया है। यह प्रसाद केवल इतना ही बनाया जाता है। जितना पूजा के लिए उपयोग या मंदिर में भूख के लिए ले जाओ परंतु तो ऐसा नहीं करना है कि आधा पूजा के लिए ले जाएं और आधा घरवालों के लिए छोड़ दें ऐसा नहीं करना है।  बनाए गए संपूर्ण प्रसाद एक बड़े बर्तन में ले तीन हिस्से करने के लिए प्लेट दोना या कागज जो मर्जी करें का उपयोग कर सकते हैं। शाम को सुबह के बचे हुए जल से जलाभिषेक नहीं करना केवल पानी के छींटे देने हैं। जैसे पूजन सुबह किया वैसे ही पूजन करें। छह की छह दिए नीचे उतार कर रख ले और इनमें से पांच दीपक तब प्रज्वलित करें जब आप भोजन के तीन हिस्से कर लें।
पहला दीपक जब प्रज्वलित करें तो अपने मन की अभिलाषा भगवान भोलेनाथ को जरूर बताएं। अन्य किसी की माचिस से या प्रज्वलित दीपक से दीपक ना जलाएं स्वयं की माचिस की और बत्ती का उपयोग करें यहां तक कि दूसरे का दीपक भी उपयोग ना करें। यदि मिट्टी के दीपक ना हो तो आटे के दीपक बनाकर ले जाए लेकिन आपने दीपक लेकर जाए।
पहला दीपक लगाएं और कामना करें बाबा यह मेरा पहला पशुपति व्रत है इसे स्वीकार करना। बाबा मैंने इस कार्य के लिए इस व्रत को दिल से किया है इसे स्वीकार करें। बाबा मैंने पूजन में न जाने कौन सी योनि प्राप्त की होगी और कितने बेकार कर्म किए होंगे जो मुझे यह परेशानी भुगतनी पड़ रही है इस दुख को आप दूर कर सकते हैं क्योंकि आपका नाम पशुपतिनाथ है। सुना है बाबा आप सबके दुख आते हो मेरा भी दुख हरो बाबा। मैं अपना कष्ट आपके चरणों में निवेदन कर रहा हूं कृपया इसे दूर करो बाबा।
इसके उपरांत बाकी के 4 दिए लगाएं। ऐ प्रचलित दीया और प्रसाद का एक हिस्सा थाली में रखकर घर आ जाएं। दरवाजे के हेडलाइट भाग में इसे प्रचलित करें। पहले कामना मंदिर में की है तो दूसरी कामना आपको दरवाजे पर बैठकर करनी है।

आप जब भोजन करने बैठे तो जो प्रसाद आप मंदिर से लेकर आए हैं उसे ग्रहण करें उसमें से किसी को भी प्रसाद ना दें। जिस का व्रत है वही उस प्रसाद को खाएगा।

यदि 2 जन व्रत कर रहे हैं तो
एक बात और अच्छे से जान लें कि घर में दो जन यदि इस व्रत को कर रहे हैं तो दोनों अलग-अलग थाली लेकर जाएंगे। चाहे उनका रिश्ता कोई भी हो। और शाम को दोनों के लिए अलग-अलग ही भोजन प्रसाद बनेगा।

मंदिर नहीं बदला जाता
एक बात का और ध्यान रखें कि इस व्रत को करते वक्त मंदिर नहीं बदला जाता यदि आपको कहीं जाना पड़े या ऐसे स्थिति बने कि आप अपने उस मंदिर से दूर हैं जहां पहले व्रत किया था उसी मंदिर में उसी शिवलिंग पर ये पांचो व्रत पूर्ण किए जाते हैं। ऐसा ना करें कि दो मायके में कर लिए दो ससुराल में कर लिए और दो कहीं और कर लिया अर्थात पूरे पास कर लिए यह व्रत नहीं लगेगा।

व्रत का त्याग कब करें
यदि स्त्री रजस्वला है या घर में सूतक किया पाठक लग जाए तो इस व्रत का त्याग किया जा सकता है। यह मजबूरी में आप अपने मंदिर से दूर हैं तो भी आप इस व्रत का त्याग कर सकते हैं यदि कोई और मुख्य द्वार आ जाए करवा चौथ पीस या उसी की तरह का कोई और बड़ा त्यौहार आ जाए तू भी इस व्रत को त्याग सकते हैं और उस वक्त जो त्यौहार वाला व्रत है उसे कर सकते हैं और अगले सोमवार को इस व्रत को रख सकते हैं।

उद्यापन कैसे करें
जब 4 वर्ष पूरे हो जाए तो 5वें व्रत की शाम को उद्यापन किया जाता है इसमें छटा व्रत मैं उद्यापन नहीं किया जाता। इसमें  108 मुंग के दाने चावल के दाने फूल या बेलपत्र जो भी घर में उपलब्ध हो उस को भगवान भोलेनाथ पर श्री शिवाय नमस्तुभयम कहकर एक-एक करके अर्पित किया जाता है इसमें समय लग सकता है।एक नारियल पिया श्रीफल तथा ₹11 अविष्कार भगवान भोलेनाथ को अर्पित करें लेकिन जिस प्रकार प्रसाद जलहरी पर नहीं रखा जाता उसी प्रकार नारियल भी जलहरी पर नहीं रखा जाता उसे भगवान भोलेनाथ पर टच कराकर स्पर्श कराकर बराबर में रख देते हैं। 

भोजन करके दीपक जलाकर भगवान से प्रार्थना करें कि बाबा यह मेरा पांचवा व्रत है मेरी पूजा स्वीकार करें मेरी मनोकामना पूर्ण करें आप तो सब कुछ जानते हैं कुछ बातें हो सकता है मैं भूल गई हूं उन्हें भी पूर्ण करें।

क्या पशुपति व्रत घर के शिवलिंग पर क्या जा सकता है
घर के शिवलिंग पर पशुपति व्रत करने का प्रमाण नहीं है केवल उन्हीं मंदिरों में पशुपति व्रत करने का प्रमाण है जिन पर सभी लोगों की दृष्टि पड़ती है अतः आप अपने घर के मंदिर में व्रत नहीं कर सकते आप अपने पास के सार्वजनिक मंदिर में जा कर यह व्रत कर सकते हैं।

व्रत में भोजन करने का क्या विधान है
इस व्रत में एक बार फलाहार किया जा सकता है और एक ही बार भोजन ग्रहण किया जा सकता है फलाहार दिन में करइस और भोजन रात्रि में अपना भोग प्रसाद लेने के उपरांत ही करें। व्रत में सुबह आप फलाहार या मीठा पा सकते हैं जिसमें ड्राई फ्रूट आदि हो सकते हैं। परंतु याद रखें के रात्रि में आप जब भोजन करने जाएंगे तो पहले जो तीन हिस्से में से एक हिस्सा लेकर आए हैं उसे बिना किसी को दिए स्वयं ग्रहण करेंगे और उसके बाद अपना भोजन ग्रहण करेंगे अर्थात खाएंगे।

पशुपति व्रत कहां से आया
शिव महापुराण में पाशुपतास्त्र पाशुपत व्रत कथा पाशुपत पशुपति व्रत कथा का वर्णन मिलता है अतः इसका वर्णन शिवपुराण में है। यह व्रत केवल 5 सोमवार का होता है।

व्रत में निम्न सावधानियां बरतें
★ शिवलिंग की जलाधारी को पीथिका भी कहते हैं यह माता पार्वती का हस्त कमल है अर्थ अर्थ इस पर कोई भी द्रव्य पदार्थ अर्पित नहीं किया जाता जैसे फल फूल मिठाई नारियल आदि ।
★ डिश टीवी का जिस पीटी का का हमें पूजन करना है उसी का हम एक डिश की तरह उपयोग कर रहे हैं सामान रखने की जगह की तरह उपयोग कर रहे हैं जो गलत है तभी लोग कहते हैं कि पशुपति व्रत रखने के बाद भी हमारी कामना पूर्ण नहीं हुई।
★ कुछ लोग तो इस पर डीपी प्रज्वलित करके रख देते हैं जो गलत है।
★ आप जब पूजन के लिए गए तो हो सकता है आपने फल एसपीडी का पर रख दिया हो जो तीन हिस्से किए वह इस पीपीका पर रख दिए हो जो दीपक जलाया वह स्पीडी का पर रख दिया हो जो नारियल जलाए चढ़ाया वह स्पीडी कहां पर रख दिया हो।
★ भगवान शंकर का शिवलिंग कोई साधारण वस्तु नहीं है यह शिव और शक्ति का प्रतीक है इसमें ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों वास करते हैं तथा पीथिका पर गणेश कार्तिकेय और उनकी पुत्री अशोक सुंदरी का वास होता है अतः यह कोई साधारण वस्तु नहीं है। यहां तक कि 33 कोटि देवी देवताओं का वास भी इसमें होता है

संक्षिप्त विधि
पशुपति व्रत में सुबह मंदिर में पूजन के लिए जाया जाता है इसमें जो थाली प्रयुक्त होती है उसी थाली के सामान का उपयोग शाम को भी किया जाता है आप अगर चाहे तो जल बदल सकते हैं परंतु शाम को जल नहीं चढ़ता भोजन के उपरांत उन्हें जल्द चीटन के रूप में दिया जाता है। क्योंकि सुबह पंचामृत से स्नान कराया जा चुका है इसलिए शाम को उसकी आवश्यकता नहीं है।
इसलिए शाम की थाली में सुबह का बचा हुआ सामग्री 6 दीपक और भोग प्रसाद उनके तीन हिस्से करने के लिए दोनों लेकर मंदिर में जाएं पूजन करें 6 के 6 दीपक नीचे रख दें उसके उपरांत भोजन के तीन हिस्से करें घर से करके ना ले जाएं और पहला दीपक जलाते हुए भगवान से अपनी मनोकामना बोले उसके बाद बाकी 4 दीपक जलाएं छठवां दीपक न जलाएं। शिवजी का पूजन करके उनसे मनोकामना बोलकर के ए प्रज्वलित छठे दीपक को थाली में रखकर ले आए प्रसाद के दो हिस्से मंदिर में छोड़ दें तीसरा हिस्सा अपनी थाली में रखें और घर आ जाएं घर के द्वार पर पहुंचकर अपने घर की तरफ मुख करके सीढ़ियां पर बैठ जाएं और सीधे हाथ की तरफ दिया लगाएं और अपनी दूसरी कामना यहां बोलें कि बाबा मैंने आपके भरोसे पर ही है व्रत किया है बाबा इसे सफल कीजिए।
दीया लगाकर घर में प्रवेश कर जाइए और जो प्रसाद लेकर के आए हैं उसे अपने व्रत खोलने के प्रसाद से पहले स्वयं खाएं किसी को ना दें। 4 वर्ष पूरे हो जाने पर पांचवी व्रत के शाम को एक श्रीफल अर्थात नारियल ₹11 तथा 108 चावल के दाने मूंग के दाने या फूल की पंखुड़ी आया फूल या बेलपत्र या शमीपत्र जो भी आप सुविधाजनक रूप से उपलब्ध हो आप उसे ले जाएं और एक एक कर श्री शिवाय नमस्तुभयम बोलते हुए भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर अर्पित करें एक साथ सारे ना चढ़ाएं इसमें थोड़ा समय तो लगेगा।
पूर्व के वृद्धों की तरह क्यों दीपक नीचे रखें उनमें से इसके उपरांत भोग प्रसाद के तीन हिस्से करें पहला दीपक जलाकर अपनी मनोकामना बोलें बाकी चार दीपक भी जला दें छटा दीपक अप्रज्वलित ही रहने दें। ₹11 और श्रीफल बाबा के चरणों में अर्पित कर दो। 108 जो चावल के दाने लेकर गिर गए हैं उन्हें पंचाक्षर मंत्र सड़क सर मंत्र या श्री शिवा नमस्तुभयम मंत्र द्वारा एक-एक करके भगवान भोलेनाथ को अर्पित करें।
छटा दीपक और भोग प्रसाद का एक हिस्सा अपनी थाली में रखकर घर वापस आ जाएं अन्य दिनों की तरह द्वार पर छठवां दीपक अपने सीधे हाथ पर प्रचलित करें प्रार्थना कर घर में प्रवेश करें और भोजन करने से पहले मीठे का जो भोग प्रसाद है उसे स्वयं ही ग्रहण करें किसी को ना दें।
आप दिन में एक फल फल आहार कर ले सकते हैं और रात्रि में भोग प्रसाद ग्रहण करने के बाद आप भोजन भी ग्रहण कर सकते हैं।
इसे प्रेम से श्रद्धा और भक्ति से करें 5 सोमवार का यह पशुपति व्रत पशुपतास्त्र की तरह अचूक है और आपकी इच्छा को पूर्ण करने का एक अचूक उपाय है।
यह पशुपति व्रत भगवान की एबलभरती देने वाला तथा आनंद देने वाला है।

जिसके तीन हिस्से किए जा सकें। घर से तीन हिस्से करके नहीं ले जाना है और न ही घर के अन्य किसी व्यक्ति को इसमें से खाने के लिए नहीं दिया जाता। इसे मंदिर में ले जाएंगे तो इसके तीन हिस्से भगवान के सामने ही करेंगे इनको मंदिर में भोले बाबा को अर्पित करेंगे लेकिन इसे जलहरी पर नहीं रखेंगे उनके पास रख देंगे और उनमें से एक हिस्सा पूजा के उपरांत उठाकर वापस थाली में रखेंगे और घर ले आएंगे घर आकर अपना भोजन खाने से पहले इसी भोग प्रसाद गुप्त खाना है उसके बाद आप अपना भोजन प्रसाद खाएं।

भटका रहे हैं लोग
पशुपति व्रत को लेकर लोग उल्टी-सीधी बातें बना रहे हैं और सनातनी तथा सीधे-साधे भक्तजन उनकी बातों में आ जा रहे हैं

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