क्या होता है भद्रा काल?

आइए, हम आपको बताते हैं राखी के शुभ मुहूर्त के बारे में…

30 अगस्त को लग रही है भद्रा

ज्योतिषियों के मुताबिक, 30 अगस्त को सावन की शुक्ल पूर्णिमा सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर लग रही है। इसके साथ ही आज भद्रा काल की भी शुरुआत हो जाएगी, जो कि आज रात 9 बजकर 1 मिनट पर खत्म होगा। बता दें कि भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसलिए इस मुहूर्त में राखी बांधने को मना किया जा रहा है।

क्या होता है भद्रा काल?

ज्‍योतिष शास्त्र के मुताबिक, भद्रा काल को अशुभ काल माना जाता है।

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जानें भद्रा से जुड़ी कहानी

ऐसा कहा जाता है कि भद्रा सूर्यदेव की बेटी है और शनिदेव की बहन। ऐसा माना जाता है कि भद्रा का स्वभाव शनि देव की तरह कठोर है। इनके इस स्वभाव पर काबू करने के लिए  ब्रह्माजी ने उन्हें पंचांग में विष्टि करण के रूप में जगह दी थी। इसलिए ऐसा माना जाता है कि जिस समय भद्रा काल लग रहा होता है तो उस समय शुभ या धार्मिक कार्य करना वर्जित होता है।

यह काम करना नहीं होता अशुभ

ऐसा माना जाता है कि भद्रा काल के दौरान तंत्र-मंत्र की पूजा और कोर्ट-कचहरी का कोई काम करना अशुभ नहीं माना जाता है।

यह कार्य करना है वर्जित

भद्रा काल के समय जो कार्य करना वर्जित है उन्में विवाह, सगाई, होलिका दहन या गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य करने से मना किया जाता है। साथ ही आपको बता दें कि भद्रा पृथ्वी, पाताल और स्वर्ग तीनों लोक में भ्रमण करती है।

जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

जो लोग 30 अगस्त को राखी बांधना चाहते हैं वह केवल आज रात 9 बजकर 2 मिनट के बाद ही बांध सकते हैं। वहीं, 31 अगस्त को राखी सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक ही बांधी जा सकती है, क्योंकि इसके बाद पूर्णिमा तिथि खत्म हो जाएगी। इसका मतलब है कि राखी बांधने का शुभ मुहूर्त केवल 10 घंटे के लिए ही है।


ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र और पंचांग में वर्णन है की हर दूसरे दिन में भद्रा की स्थिति बनती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा का जन्म दानवों के नाश करने हुआ था. भद्रा सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया के गर्भ से जन्म हुआ है. भद्रा शनिदेव की बहन की नाम से भी जानी जाती है. एक बार की बात है जैसे ही भद्रा का जन्म हुआ तब भगवान सूर्यदेव ने उनकी शारिरिक बनावट को देखकर परेशान होने लगे की इसका विवाह कैसे होगा.

भद्रा विकृत रूप से पैदा हुई थी. भद्रा के हाथ पैर दूसरे जीवों जैसे नहीं थे. सूर्यदेव को ज्यादा चिंता होने लगी तब वे ब्रम्हा जी के पास गए. तब ब्रम्हा जी ने भद्रा को आशीर्वाद दे दिया की जहां मांगलिक और शुभ कार्य होते हैं वहां तुम्हारा निवास स्थान होगा. इसलिए जब भी शुभकार्य होते हैं उससे पहले पंचाग देखा जाता है कि भद्रा तो नहीं है. खासकर रक्षाबंधन और होलिका दहन में भद्रा को विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है. क्योंकि शास्त्रों में ऐसा प्रमाण है कि रावण की बहन सूर्पनखा ने भद्राकाल में अपने भाई रावण को राखी बांधी थी. इसलिए उनका पूरा समूल परिवार सहित नष्ट हो गया था उनका सब कुछ तबाह हो गया था. इसलिए रक्षाबंधन और होलिका दहन में विशेष ध्यान दिया जाता है. भद्राकाल की स्थिति में न रक्षाबंधन किया जाता है न होलिका दहन किया जाता है।




★ अगर भद्रा काल में राखी बंधवाने से रावण का सर्वनाश हुआ, तो ज्ञानी ये बताएं उसी काल में विभीषण ने भी तो राखी बंधवाई होगी।

★ जब हम छोटे थे तो ये सब कुछ नही होता था अब नौटंकी ज्यादा हो गई है। प्यारे से त्यौहार को घिच पिच कर दिया है।

★ भद्रा काल का मतलब क्या होता है? कौन है भद्रा?
ज्‍योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ समय (काल) ऐसा होता है जिनमें शुभ कार्य वर्जित होता है। ज्योतिष में इसे अशुभ काल कहा जाता है और इन्‍हीं अशुभ कालों में से एक है भद्रा। शास्त्रों के अनुसार भद्रा सूर्यदेव की बेटी हैं और शनिदेव की बहन हैं। वहीं शनि की तरह इनका स्वभाव भी कठोर और क्रोधी है।

★ कहते है रावण की बहन ने भद्रा काल मे अपने भाई को राखी बांधी थी इसीलिए उसकी अकाल मृत्यु हुई, यह एक भ्रामक बात है, रावण की मृत्यु अपने पाप कर्मों से हुई थी, ना कि भद्रा काल के कारण, यदि भद्रा काल मे रावण को राखी ना बांधी होती तो क्या रावण इतने पाप कर्म करने के बाद भी अजेय रहता और प्रभु श्री राम की युद्ध मे हार होती ? जरा विचारिये।

★ *भद्रा काल क्या होता है और इस समय राखी क्यों नहीं मनाया जाता है?*

भद्रा काल को अशुभ अवधि माना जाता है और इसी वजह से भद्रा काल के समय लोग कोई भी पर्व या समारोह करने से बचते है. दरअसल धार्मिक पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है और अपने कठोर और क्रोध वाले स्वभाव के लिए जानी जाती है. वह जहां भी जाती है उथल पुथल मचा देती है.

इसलिए ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य करने से फल अशुभ ही मिलता है. यहीं कारण है कि इस साल राखी 30 अगस्त और 31 अगस्त, दो तिथियों में बंट गई है. आपको बता दे कि इससे जुड़ी एक कथा भी है कि शुर्पनखा ने भद्रा काल में ही अपने भाई रावण को राखी बंधा था और लंकेश का पूरा साम्राज्य बर्बाद हो गया था.

अगर इस साल राखी के शुभ मुहूर्त की बात कि जाए तो 9:02 में भद्रा काल ख़तम होने के बाद 9:02 में ही राखी मानाने का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा, जोकि 31 अगस्त 7:05 तक चलेगा.

★ भद्रा क्या होती है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनि की बहन है। शनि की तरह ही भद्रा का स्वभाव भी कठोर बताया गया है। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया। भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्यों, यात्रा और उत्पादन आदि कार्यों को निषेध माना गया किंतु भद्रा काल में तांत्रिक प्रयोग, अदालती पैरवी और चुनाव प्रचार अभियान उत्तम फल देने वाले होते हैं।
पंचांग के 5 प्रमुख हैं - तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इनमें से करण एक महत्वपूर्ण अंग होता है। यह तिथि का आधा भाग होता है। करण की संख्या 11 होती है, यथा - बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पद, नाग और किंस्तुघ्न। इन 11 करणों में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। यह सदैव गतिशील होती है। पंचांग शुद्धि में भद्रा का खास महत्व होता है।
हर हर महादेव।

कल से सभी भद्रा की चर्चा कर रहे हें, अखिर क्या हे ये भद्रा?

★ भद्रा काल एक मुहूर्त है जिसे शुभ नहीं माना जाता.
भद्रा शनि देव की बहन हे और भद्रा का रूप भयंकर और विकराल माना ग़या है, भद्रा को भैरवी और महाकाली के नाम से भी जाना जाता है
क्रोधित स्वाभाव के कारण इस मुहूर्त मे किए गए काम विनाशकारी अंत ही देते हें इसलिए इसे अशुभ माना गया है, 
सूर्पनखा ने इस काल मे ही रावण को राखी बाँध कर अपने अपमान का बदला लेने का वचन लिया था जो आगे जाके रावण का काल बना l
इसीलिए इस काल के समय राखी बांधने पर मनाई है इस काल के समय कोई शुभ काम नहीं किया जाता l
इसीलिए भद्राकाल जो शाम के 9.01 मिनट पर खत्म होगा उसी के बाद राखी (जो कि एक रक्षा सूत्र का रिश्ता हे भाई बहन के बीच जहां दोनों एक दूसरे की लम्बी आयु और प्रगति की कामना करते हें) बाँध नी चाहिए!

★ भद्राकाल: भद्रा कोन थी? और भद्रा काल में राखी क्यों नही बांधना चाहिए? भद्रा छाया पुत्री और शनिदेव जी की बहन थी।रावण को उनकी बहन सूर्पनखा ने भद्राकाल में राखी बांधी थी।जिसकी वजह से उनकी मृत्यु श्री राम के हाथो हुई थी।और भद्रा का जन्म दुराचारी,और पापी लोगो को नष्ट करने के लिए हुआ था। शास्त्र हमे ज्ञान देता है क्या शुभ है और क्या अशुभ मानना या नही मानना आपके कर्मों के अनुसार निर्धारित है।इसलिए कृपया किसी भी पंडित के बारे में गलत टिप्पणी करने से पहले पंचांग में पंचक और भद्रा काल के बारे में जानकारी प्राप्त करे। जय श्री बालाजी की

भद्राकाल मैं रखी बांधने से होता क्या हैं?
गुरु के नौवे घर में आने से भाग्य की वृद्धि होती है और अगर राहु साथ मैं बैठा हो जैसा अभी गोचर में अभी हो रहा है तो भाग्य में उतनी वृद्धि नही होती जितनी होनी चाहिए ,जैसे किसी को ये नही पता की बिल्ली के रास्ता काटने से क्या बुरा होता है ,ऐसे ही भद्रा काल में रखी बांधने से बुरा होता है पर किसी ज्योतिष को ये नही पता की क्या बुरा होता है ,किसी को गाड़ा हुआ धन कब मिलेगा,शादी कब होगी ,सूर्य और शनि की युति होती बाप बेटे की नही बनती पर ये नही पता की भद्रा मैं रखी बांधने से क्या होता है ,आजतक इतना रहस्यमही गोचर शायद इन ज्योतिषी के सामने नहीं आया इसीलिए अभी आकलन नहीं कर पाए की अशुभ तो होता है पर क्या अशुभ होता है,
आंखें खोलो सवाल पूछो

★ रक्षाबंधन पर किसी भी तरह का गलत मैसेज,मजाक, स्टोरी, स्टेटस न रखे।
वो क्या है ना आज कल गाली बाहर निकलने को बेताव है।बाकी सब बहुत खुशी से रक्षाबंधन मनायें।❣️❣️
इन जैसे कुपढों के चक्कर में न पड़ें। राखी 31 को ही है।
राखी पवित्र त्योहार है इसकी पवित्रता रखें!
भद्रा नक्षत्र ही नही है भद्रा शिव द्वारा उत्पन्न शक्ति है जो देवासुर संग्राम मे बनाई गई थी मतलब युद्ध के लिए ही बनाई गई थी। भद्रा काल में तो होली में आग भी नही लगाते। पर कुछ लोगों को इंटेलेक्चुअल दिखने की चुल्ल होती है। वो ही ऐसे ज्ञान चो द ते है।  भद्रा काल के लिए शास्त्रोक्त प्रमाण भी दिया गया है।

★ भारतवर्ष की आधी जनसंख्या तो 7:30 बजे तक सो कर उठती है, और जो लोग अपनी बहनों से दूर रहते हैं, वह क्या 7:30 बजे तक अपनी बहनों के पास पहुंच जाएंगे, लेकिन धर्म के ठेकेदारों के अनुसार 7:30 बजे तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है,मैं दावे के साथ कह सकती हूं, 7:30 बजे के बाद भी लोग राखी बंधवाआएंगे , 7:30 बजे के बाद भद्राकाल शुरू हो जाएगा,रावण की बहन ने रावण को भद्रा काल में राखी बांधी थी जिसके कारण वह मारा गया तो फिर इसका मतलब 7:30 बजे के बाद जो लोग राखी बंधवाआएंगे वह सब भी रावण की तरह कुछ समय बाद मारे जाएंगे, वाह क्या तर्क है,आप जैसे अज्ञानी लोग हमें डरा कर और बेवकूफ बनाकर कर्म के मार्ग से भटकाते हैं,ताकि आप लोगों की दुकान चलती रहे 🙏

★ कौन से जोतिषी को पता है कि भद्रा किस जगह पर रहती है । हमें वहां पर भद्रा यान भेजने में मदद मिलेगी। देश और दुनिया की मदद करें और पता बताएं आपकी बड़ी किरपा होगी ।
ज्योतिषी कह रहे हैं कि भद्राकाल में शुभकार्य नहीं किए जा सकते क्योंकि इस काल में भद्रा का निवास पृथ्वी पर होता है। 30 अगस्त 2023 को भद्रा पृथ्वी पर सुबह 10:58 से रात्रि 9:01 तक रहेगी। अब ये भद्रा कौन है ? पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनि की बहन है। मतलब भद्रा भी हमारे सौरमंडल में सूर्य और शनि की तरह कोई ग्रह/उपग्रह/पिंड/एस्ट्रॉइड है। 

कौन कौन ज्योतिषी बताएगा कि सौरमंडल में भद्रा किधर रहती है ? कितनी बड़ी है ? इस बार पृथ्वी के किस भाग/महाद्वीप/देश/नगर/गांव में निवास करेगी ? उसके निवास करने का क्या उद्देश्य है ? 

★ आखिर क्यों हो रहा त्यौहारों का आनंद खत्म🌿
कल भद्रा काल को लेकर एक ने कहा कि रावण का अंत इसलिये हुआ कि भद्रा काल मे राखी बांधी थी सूपर्णखा ने उसके,

मैंने बोला रावण और भाई थे,
एक की मृत्यु एक को राजसिंघासन,

क्या बहन ने केवल रावण को राखी बांधी थी विभीषण को नही 

निष्कर्ष♥️स्वच्छ मन से किया हुआ कोई भी कार्य शुभ ही होता है,,

रावण भद्रा के कारण नही अपने कर्म से मृत्यु को प्राप्त हुआ,
विभीषण ने सत्य का वरण किया तो राजसिंघासन मिला,।।

यदि अशुभ है तो,,

इसी कालखंड में हजारों बच्चे जन्म लेंगे,
क्या होगा उनका ,,
क्या कोई उन्हें नही स्वीकार करेगा क्योकि वह अशुभ घड़ी में जन्म ले रहे है,।।

फिलहाल तो कोई मानेगा है नही करेंगे सब वही जो लगेगा सही🤣🤣🤣

★ *जिस भद्रा के डर से हमारे सभी ज्योतिषियों नें रक्षा बंधन को दो दो दिनों में बाँट दिया। उसी भद्रा के बारे में परम पूजनीय गुरु नानक देव जी के विचार जानिए :-*

सारे पख सुल्क्ख्ने ,
ते चंगे सारे वार। 
नानक भद्रा तां जानिए ,
जे रूसिया होवे करतार

भाई बहन के पवित्र त्यौहार पर काली नजर मत लगाइए 
काल क्या है रामायण में कहा सरूपनखा का जिक्र है या  राखी का , आधे लोगो को तो प्रभु राम की बहन का भी पता नही  होगा।

★ विद्वान कहिन, सुपर्णखा ने रावण को भद्रा काल में राखी बांधी थी इसलिए रावण मारा गया 🤣

मतलब कत्तई हद है 🤔

सुपर्णखा किसी और काल में राखी बांधती तब क्या रावण की मृत्यु नहीं होती, अरे वो तो निश्चित थी।

क्योंकि, “हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि हाथ” ❣️⛳👏🏻


★ जो भाई भद्र काल के डर से राखी नही बंधवा सकता,,,
वो समय आने पर क्या अपनी बहनों की रक्षा करेगा।

जानकारी के लिए बात दू भद्रा सनी देव की बहन है, और इन पाखंडियो ने एक बहन को ही बहनो के तैयोहार के खिलाफ खड़ा कर दिया,,, जो की हमारी संस्कृती के खिलाफ है
इनके अनुसार तो बहन भद्रा कभी अपने भाई को राखी नही बांध सकती,,,,
ये पाखंडी हमारी संस्कृती को धूमिल कर रहे है, सरकार को इन पर लगाम लगानी चाहिए,,,
सभी साथी भाई बहन के प्यार के प्रतीक इस त्यौहार को प्यार से मनाए और खुशियां बांटे।।
 सभी को पावन  पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻


★ Raksha Bandhan 2023: भद्रा काल (Bhadra Kal)  होने की वजह से 30 अगस्त (30 August) के बदले 31 अगस्त (31 August) को रक्षा बंधन का (Raksha Bandhan) त्योहार मनाना तय किया गया है.  तो क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया गया है.  भद्रा (Bhadra) और भद्रा काल आखिर है क्या, साथ ही उसका कैसा इतना बुरा असर है कि एक त्योहार का समय ही बदल दिया गया है.  ज्योतिष (Astrology) और ग्रह नक्षत्रों (planets constellations) (Grah Nakshatron) के जानकारों ने इस बारे में काफी कुछ बताया है.  तो चलिए जानते हैं कौन हैं भद्रा और क्या है भद्रा काल और उसका इतना बुरा असर (Bad Effect of Bhadrakal) आखिर क्यों है है।

★ किसी सनातन विरोधी वामपंथी पंडित ने भद्र काल का खौफ बैठा और दुरुपयोग कर हिंदू त्याहारो को खंडित करने की साजिश करी है, भ्रमित न हो खुल कर त्योहार मनाए।

कहते है भद्र काल में सुपनाखा ने रावण के राखी बांधी थी सो वो मर गया, 
अरे पापी रावण को तो भगवान श्री राम के हांथ मरना ही था, किसी भी काल में राखी बंधवाता, उसे उसके पापों की सजा मिलनी ही थी।

और भद्रा माता की खास अनुकंपा के रावण को भगवान के हाथों मोक्ष मिला वर्ना कही जामवंत जी या लक्ष्मण जी के मारा होता तो क्या होता।

#भद्र #काल की साजिश को समझे, यह #त्योहारों के जोश और आनंद को खत्म कर त्याहारों की आत्मा को मारने की साजिश है।

★ सुपर्णखा ने रावण को भद्रा काल में राखी बांधी थी इसलिए रावण मारा गया😀
हद है 🙏
सुपर्णखा किसी भी काल में राखी बांधती तब भी रावण की मृत्यु निश्चित थी😎
क्या द्रौपदी कृष्ण को सुदर्शन चक्र से अंगूठा कट जाने पर अपनी साड़ी फ़ाड़ कर बाधने के लिए काल की गणना करने बैठती और तब बांधती??
किसी भी रिश्ते को सहेजने के लिए किसी मुहूर्त की आवश्यकता नही होती।
इतना चक्कर में न डालिए विद्वत जन।



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