शिव पुराण कथा चरित्र 03 | नारदजी का तप, मोह और भगवान विष्णु को श्राप देना
शिव पुराण कथा चरित्र 03 | नारदजी का तप, मोह और भगवान विष्णु को श्राप देना 03. रुद्रसंहिता | प्रथम (सृष्टि) खण्ड | 01-02-03-04 व 05. से संकलित ★ जो विश्वकी उत्पत्ति, स्थिति और लय आदिके एकमात्र कारण हैं, गौरी गिरिराजकुमारी उमाके पति हैं, तत्त्वज्ञ हैं, जिनकी कीर्तिका कहीं अन्त नहीं है, जो मायाके आश्रय होकर भी उससे अत्यन्त दूर हैं तथा जिनका स्वरूप अचिन्त्य है, उन विमल ब्रोधस्वरूप भगवान् शिवको मैं प्रणाम करता हूँ। ★ मैं स्वभावसे ही उन अनादि, शान्तस्वरूप, एकमात्र पुरुषोत्तम शिवकी वन्दना करता हूँ, जो अपनी मायासे इस सम्पूर्ण विश्वकी सृष्टि करके आकाशकी भाँति इसके भीतर और बाहर भी स्थित हैं। ★ जो सबके भीतर अन्तर्यामी रूपसे विराजमान हैं तथा जिनका अपना स्वरूप अत्यन्त गूढ़ है, उन भगवान् शिवकी मैं सादर वन्दना करता हूँ। 🌺🌺🌺🪷 शिव पुराण कथा चरित्र 🪷🌺🌺🌺 जगत् पिता भगवान् शिव, जगन्माता कल्याणमयी पार्वती तथा उनके पुत्र गणेशजीको नमस्कार करके हम इस शिव पुराण कथा चरित्र का वर्णन करते हैं। एक समयकी बात है, नैमिषारण्यमें निवास करनेवाले शौनक आदि सभी मुनियों को सूतजी का सानिध्य प्राप्त हुआ। मुनियों के