देव ऋषि तुम्बरू
देवताओं के संगीतकार व गायक तुम्बुरु
हिन्दू पौराणिक कथाओं में तुम्बुरु गायकों में सर्वश्रेष्ठ और गंधर्वों के महान संगीतकार हैं। उन्होंने दिव्य देवताओं के दरबार के लिए संगीत और गीतों की रचना की थी। पुराणों में तुम्बरू या तुम्बुरु को ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी प्रभा के पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है।
तुम्बरू को अक्सर घोड़े के मुंह वाले ऋषि के रूप में दर्शाया गया। वे वीणा धारण करते और गाते हैं। अपनी तपस्या से शिव को प्रसन्न करने के बाद, तुम्बुरु ने शिव से कहा कि वे उन्हें एक घोड़ा जैसा चेहरा और अमरता प्रदान करें। शिव ने उसे आशीर्वाद दिया और वह वरदान दिया जो उसने मांगा था।
तिरुमला में तुम्बुरु तीर्थम
एक बार ऋषि तुम्बुरु ने अपनी आलसी पत्नी को एक ताड़ बनने और इस झील में रहने के लिए शाप दिया। कुछ समय बाद, ऋषि अगस्त्य इस तीर्थ में पहुंचे और अपने शिष्यों को इस तीर्थ के गुणों का वर्णन किया। उनकी बातें सुनकर उसने फिर से अपने गंधर्व स्वरूप को प्राप्त कर लिया।
निष्कर्ष:
तुम्बुरु जो एक दिव्य ऋषि और एक महान संगीतकार हैं और वे भगवान शिव एवं भगवान विष्णु के बड़े भक्त हैं। वह हमारी और आपकी इच्छाओं को पूरा करेंगे। वह हमें एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन प्रदान करते हैं। आइए हम उसकी निरंतर पूजा करें, और उसके नाम “ओम श्रीं तुम्बुरुवे नमः” का जाप करें।
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