काशीमाहात्म्य_में_वर्णित_हैं_कि

#काशीमाहात्म्य_में_वर्णित_हैं_कि --------

शिव नगरी काशी में पग पग पर तीर्थ अवस्थित हैं, जो भक्ति भाव से जीव द्वारा पूजित होने पर पुण्य ही प्रदान करते हैं, परन्तु अनेक सनातन धर्मी बन्धु ऐसे हैं,
#जिनके जीवन में वंशवृद्धि को लेकर एक विकट समस्या बनी रहती हैं, जिसके लिए वह अनेक प्रयत्न भी करते हैं। 
#परन्तु वह काशी में उचित देव द्वार तक पहुंच नहीं पाते हैं, जिससे उनके परिवार में अशांति बनी रहती हैं, जिसका लाभ अनेक कालनेमि लोग अनेक प्रकार से उठाते हैं।
#काशी_ढुंढे,भगवान विश्वनाथ , माता अन्नपूर्णा,और काशी के युवराज श्री ढुंढीराज जी के कृपाप्रसाद स्वरूप उक्त शिवभक्तों की समस्या के निदान हेतु.........
#मैं आपके समक्ष काशीपुरी के चार अमूल्यरत्न भंडार वंशवृद्धि दाता स्वरूप शिवलिंगों एवं तीर्थ के नाम प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिनके भक्ति भाव से दर्शन पूजन करने से आपका जीवन सन्तति अभाव से कभी ग्रस्त नहीं होगा---
1. #रत्नेश्वर_महादेव 
#भगवान_शंकर_ने_कहा हे गिरिजे ! सब लोगों को सब कुछ देने वाले स्थावररूप इस रत्नेश्वर लिंग के प्रभाव की तुलना नहीं है और इस रत्नेश्वर शिवलिंग में  मेरी बड़ी ही प्रीति है...
नानारत्नानि लभ्यन्ते रत्नेशानुग्रहादुमे । 
स्त्रीरत्नपुत्ररत्नादिस्वर्गमोक्षावपि प्रिये ।।
#हे_प्रिये ! उमे ! रत्नेश्वर की कृपा से नानाप्रकार के रत्नजात, स्त्रीरत्न,पुत्ररत्न,स्वर्ग और मोक्ष इत्यादि सब कुछ पाया जाता  है
इदं रत्नेश्वराख्यानं यः पठिष्यति सर्वदा ।
स पुत्रपौत्रपशुभिर्न वियुज्येत कर्हिचित् ।। 
#जो कोई नित्य ही इस रत्नेश्वर के उपाख्यान का पाठ करेगा, उसे कभी पुत्र, पौत्र और पालित पशुओं का वियोग नहीं सहन करना पड़ेगा, #अर्थात् उसका कुटुम्ब पुत्र-पौत्रादि और पशुधन से परिपूर्ण रहेगा। महामृत्युंजय मंदिर, भैरवनाथ मार्ग रोड,।
2. #शुक्रेश्वर_महादेव
तद्दक्षिणे च शुक्रेशः पुत्रपौत्रप्रवर्धनः। 
शुक्रकूपमुपस्पृश्य हयमेधफलं लभेत् ॥ 
#विरूपाक्षेश्वर के दक्षिण शुक्रेश्वर हैं, जो पुत्र-पौत्रादि की वृद्धि करते हैं। वहीं शुक्रकूप भी है, जिसके जल के छूने मात्र से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
कालिका गली, प्रसिद्धि माता अन्नपूर्णा मंदिर पीछे।
3. #कुन्तीश्वर_महादेव
वरणायास्तटे पूर्वे पूज्यं कुन्तीश्वरं नृभिः।
 तत्पूजनात् प्रजायन्ते पुत्रा निजकुलोज्ज्वलाः ।।
कुन्ती श्रावुत्तरतस्तीर्थं वै कापिलो हृदः ।।
#वरणा के पूर्वतट पर कुन्तीश्वर हैं । इनका पूजन करने से कुल को उज्ज्वल करने वाले पुत्रों को (उत्पन्न कर) देते हैं।कुन्तीश्वर से उत्तर कपिलधारा नामक एक बड़ा तीर्थ है
आदिकेशव मंदिर समीप,जो विनायक मंदिर में वरनापुल वाराणसी।
4. #मन्विश्वर_महादेव
तत्रैर्ऋत्यां मनोर्लिङ्गं वंशवृद्धिकरं परम्।
प्रियव्रतेश्वरं लिङ्ग वैद्यनाथपुरोगतम् ॥
#वैद्यनाथ के नैर्ऋत्यकोण पर परमवंशवृद्धिकर मनु का स्थापित लिंग है और जो वैद्यनाथ के सामने ही शिवलिंग है,वह तो प्रियव्रतेश्वर हैं। सनातन धर्म इंटर कालेज, नई सड़क, वाराणसी
5 #आत्मावीरेश्वर_महादेव
सिद्धलिङ्गमिहाख्यातं तस्माद्वीरेश्वरं परम् ।। 
विदूरथोऽथ नृपतिरपुत्रः पुत्रवानभूत् ।
वीरेश्वरप्रसादेन मगधाधिपतिर्वशी ॥
वसुदत्तोऽत्र च वणिक् सुतां वसुसुतोपमाम् ।
अब्दमभ्यर्च्य वीरेशं रत्नदत्तोऽप्यवाप्तवान् ॥
#इन्हीं कारणों से जगत् में वीरेश्वर परम सिद्ध लिंग प्रसिद्ध है, मगध देशाधिपति जितेन्द्रिय विदूरथ भूपाल अपुत्र होने से इसी वीरेश्वर के प्रसाद से पुत्रवान् हुआ और वसुदत्त और रत्नदत्त नामक वणिकों ने एक वर्ष पर्यन्त इसी स्थान पर वीरेश्वर की पूजा कर देवकन्या के तुल्य कन्या-रत्न को पाया था।
एतत्स्तोत्रस्य पठनं पुत्रपौत्रधनप्रदम्।
सर्वशान्तिकरं चापि सर्वापत्परिनाशनम् ।।
स्वर्गापवर्गसम्पत्तिकारकं नात्र संशयः ।
प्रातरुत्थाय सुस्नातो लिङ्गमभ्यर्च्य शाम्भवम् ।।
वर्ष जपन्निदं स्तोत्रमपुत्रः पुत्रवान् भवेत् ।।
वैशाखे कार्तिके माघे विशेष नियमैर्युतः ॥ 
यः पठेत् स्नानसमये स लभेत् सकलं फलम् । ।
#वीरेश्वर शिव-- *स्तोत्र का पाठ पुत्र, पौत्र, घन का दाता, समस्त शान्तियों का कर्ता, अखिल आपत्तियों का हर्ता, स्वर्ग और मोक्ष सम्पत्तियों का विधाता है, इसमें सन्देह नहीं। जो पुत्रहीन नर एक वर्ष तक प्रातःकाल सोकर उठते ही स्वच्छता से स्नान कर शिवलिंग की पूजाकर इस स्तुति का पाठ करेगा, वह पुत्रवान् होगा। वैशाख, कार्तिक और माघ मास में विशेष नियम धारण कर, जो स्नान के समय इस स्तोत्र को पढ़ेगा, उसे समस्त फल प्राप्त होंगे। आत्मावीरेश्वर महादेव सिंधिया घाट चौक 
#मेरे सनातन धर्मी ,भाई , बंधुओं  अबतब स्कन्दपुराण अध्ययन से मुझे प्राप्त ज्ञान अनुसार काशीपुरी में विद्यमान प्रमाणित पुत्र पुत्री के दाता शिवस्वरूप शिवलिंगों के नाम स्थान सहित..
 मैं आपको समर्पित कर रहा हूं , ताकि कोई सनातन धर्मी सन्तान-विहीन न हो। 
बाकी 
जिनकर मन इन सन नहिं राता।
ते  जन  वंचित  किये  विधाता।
हर हर महादेव.....काश्यां सिद्धिप्रदं नृणां कलि गुप्तं भवेत्पुनः ।


अमृतेश्वरसंस्पर्शान्मृता जीवन्ति तत्क्षणात् ।
अमृतत्वं भजन्तेऽत्र जीवन्तः स्पर्शमात्रतः ॥
काशी में मनुष्यों को सिद्धि प्रदान करने वाला अमृतेश्वर शिवलिङ्ग है, जो कलियुग में गुप्त है । अमृतेश्वर के स्पर्श से मृतक मनुष्य भी जीवित हो जाते हैं; क्योंकि इनके स्पर्शमात्र से लोग अमृतत्व प्राप्त करते हैं।
पता अमृतेश्वर महादेव नीलकण्ठ मुहल्ला वर्तमान विश्वनाथ कॉरिडोर /धाम में विराजमान हैं।
१कलि 
२जीवन्ति

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